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गंगुबाई की सच्ची कहानी । The real story of Gangubai Kathiawadi in Hindi

इस दुनिया मे बहुत सी कहानियाँ ऐसी है जो हमने कभी नही सुनी होंगी। लेकिन फिल्म की वजह से उन कहानियों के बारे मे जानने को मिलता है जो हम शायद बिना सिनेमा के नहीं जान पाते। बड़ी बड़ी कहानिया तो हमे पता चल जाती है, लेकिन कुछ कहानिया जिसके पीछे दर्द और हिम्मत छुपी होती है। ऐसी ही कुछ कहानिया फिल्मों के कारण हमे पता चली, जैसे टॉइलेट :एक प्रेम कथा, पैड मैन आदि। 

लेकिन अब जो कहानी हमारे सामने आने वाली है वो है एक ऐसी महिला की है, जो sex worker के लिए मिशाल बनी और साथ ही मुंबई की माफिया क्वीन कहलाई। उस महिला का नाम है, गंगूबाई काठियावाड़ी। फिल्म भी उन्ही के नाम पे रखी गई है, जिसमे आलिया भट्ट उनका किरदार निभा रही हैं। इस फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं, इनहोने लेखक एस हुसैन जेदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' के आधार पर इस फिल्म को बनाया हैं। किताब के मुताबिक, गंगूबाई काठियावाड़ी का असली नाम गंगा हरजीवनदास था, जो गुजरात के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखती थीं। 

गंगूबाई काठियावाड़ी बॉयोपिक फिल्म (Gangubai Kathiyawadi Biopic Film)

गंगूबाई के जीवन की संपूर्ण कथा को अब बॉलीवुड के बड़े परदे पर दिखाया जा रहा है।  इस फ़िल्म में अभिनय करने के लिए Alia bhatt  को काठियावाड़ भाषा भी सिखाई जा रही है जिसमें उन्हें रेड लाइट एरिया की गंदी गंदी गालियां भी सिखाई जाने वाली हैं। इस फिल्म के जरिए जहां एक तरफ गंगूबाई के जीवन की तकलीफ है और उसका साहस दर्शाया जाएगा वहीं मुंबई में मौजूद रेड लाइट एरिया की असलियत भी बड़े पर्दे पर Sanjay leela Bhanushaali  द्वारा उतारी जाएगी। इस फिल्म मे करीम लाला नाम के व्यक्ति का किरदार Ajay Devgan निभा रहे हैं, जिनके कारण गंगुबाई लेडी क़्वीन कहलाई। 

इस फिल्म मे गंगा के जीवन के बारे मे दर्शाया गया है, कि कैसे इनका जीवन दयनीए स्थिति सा हो गया था। बहुत से दर्द सहने के बाद भी, ये एक वैश्य के रूप मे प्रसिद्ध हुई। और इन्होने बच्चों और महिलाओं के लिए बहुत से कार्य किए। तथा सेक्सवर्कर्स के लिए गंगा ने बड़े बड़े कदम उठाए। आइये जानते है गंगुबाई काठियावाड़ी की कहानी को पूरे विस्तार से। 

गंगूबाई काठियावाड़ी का बचपन (Childhood of Gangubai)

गंगुबाई का जन्म 1939 मे गुजरात के काठियावाड नामक स्थान पर हुआ था। उनका असली नाम गंगा हरजीवनदास था। गंगुबाई अपने परिवार की इकलौती बेटी थी। गंगूबाई के परिवार के सदस्य बेहद सम्मानजनक परिवार के थे। उनके परिवार वाले उन्हे पढ़ा लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे। वह एक बड़ी अभिनेत्री बनना चाहती थी, वो आशा पारिक और हेमा मालिनी की बहुत बड़ी फैन थी। इसलिए उन्हे मुंबई जाने का बहुत मन करता था। जिसके कारण उनका बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता है। वो मशहूर अभिनेत्री तो नहीं बन पाई, लेकिन एक मशहूर वेशया हुई।

गंगूबाई ने भागकर की शादी ( Gangubai Kathiawadi Marriage)

जब वो महज 16 वर्ष की थी, तब उनको अपने पिता के अकाउंटेंट रमणीकलाल से प्यार हो गया, जो गुजरात आने से पहले मुंबई में रहा करता था। यह बात जब गंगूबाई को पता चली तो उसे लगा कि उसको मुंबई जाने का रास्ता मिल गया। उनकी धीरे-धीरे रमणीक के साथ दोस्ती हो गई और दोस्ती प्यार में बदल गई। गंगुबाई के पिता ने इस रिश्ते को स्वीकारने से इंकार कर दिया। इसलिए अपने मुंबई जाने के सपने को पूरा करने के लिए वो शादी करके रमनिकलाल के साथ मुंबई भाग गई। सही माइने मे यही से उनके जीवन के दर्द भरे दीनो की शुरुवात हो गई थी। रमणीक और गंगा दोनों गुजरात से मुंबई जा पहुंचे और वहां पर एक साथ रहने लगे। कुछ समय पश्चात रमणीक ने उसे यह कहकर एक  औरत के साथ भेज दिया कि ये मेरी मौसी है, मैं हम दोनों के लिए एक अच्छा और नया घर ढूंढने जा रहा हूं। तब तक तुम इन्ही के साथ रहो। रमणीक ने नाजों से पली-बढ़ी गंगा से झूठ बोलकर उसे महज 500 रुपये की खातिर कोठे वाली को बेच दिया। गंगा को यह नहीं पता था कि रमणीक ने उसे जिसके हाथों सौंपा है वह मुंबई के मशहूर स्थान कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया की एक कोठे वाली है। गंगा रमणीक के दिये हुए धोखे से पूरी तरह टूट गई। अब वो वापस घर भी नहीं जा सकती थी और न ही कोठे से भाग सकती थी। उन्होने अपने हालात को अपना लिया और वेश्यावृत्ति मे आ गई। 

दर्दनाक घटना के बाद बनी कोठेवाली (Painful Incident happened with Gangubai)

मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में गंगूबाई  सबसे अनजान थी, इसलिए उसने परिस्थिति से समझौता कर लिया। वो हर रोज अपने जिस्म को बेचा करती थी। एक बार शौकत खान नाम का एक दरिंदा कोठे पे आया, उसने गंगुबाई के साथ इस कदर जबर्दस्ती की कि गंगू को अस्पताल मे भर्ती करना पड़ा, और तो और जबर्दस्ती के बावजूद वो पैसे देके नहीं गया, इस बात का गंगू को बहुत बुरा लगा। अस्पताल से सही होने पर गंगू के पास 2 रास्ते थे, पहला ये कि वो वापस कोठे पर जबर्दस्ती सब कुछ सहे और दोबारा खराब स्थिति मे अस्पताल आए। तथा  दूसरा ये कि वो इस हैवानियत से खुद को और बाकी सारी लड़कियों को भी बचाए। गंगुबाई ने दूसरा रास्ता चुना, उसने शौकत खान से जुदी जानकारी निकलनी शुरू की। जानकारी ढूँढने पर गंगुबाई को एक ऐसे व्यक्ति के बारे मे पता चला जो मशहूर डॉन करीम लाला के नाम से जाना जाता था, इससे सब डरते थे। 

गंगुबाई और करीम लाला का रिश्ता (Gangubai Kathiawadi relation with karim Lala)

मुंबई के एक इलाके पर कुख्यात डॉन करीम लाला का राज चलता था। कमाठीपुरा भी इसी इलाके में आता था। तब उसे पता चला कि शौकत खान नाम का वह दरिंदा करीम लाला के नीचे काम करता है। गंगुबाई ने करीम लाला से मिलने की योजना बनाई, जब वह करीम लाला से मिलने गई तो, करीम लाला ने उसे छत पर बैठा कर खाना व पानी दिया। ये देख गंगुबाई ने खाना तो दूर पानी पीने से इंकार कर दिया। क्यूंकी वो समझ चुकी थी की करीम लाला कोठे वाली को अपने घर मे बैठने नहीं देगा, इसलिए वो छत पर उसे ले गया। उसने करीम लाला से कहा आपने मुझे अपने घर पर नहीं अपने छत पर बैठाया है। अगर मेरे आने से आपका घर गंदा होता है तो मै आपके घर के किचन से आए इन बर्तनो को क्यू गंदा करूँ। करीम लाला उसकी ये बात सुन के हैरान रह गया। उसने पूछा आखिर बात क्या है? तो उसने शौकत खान की हरकतों के बारे मे करीम लाला को सब बता दिया। उसके बाद करीम लाला ने उसकी रक्षा करने का प्रण ले लिया। और कहा जब अगली बार शौकत खान आए तो मुझे बता देना मै सब देख लूँगा अब तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। करीम लाला की ये बात सुन गंगुबाई ने कहा आज तक किसी मर्द ने मुझे इतना सुरक्शित महसूस नही कराया है। उसने अपने पर्स से एक धागा निकाला और करीम लाला की कलाई मे बांध दिया। और कहा आज से आप मेरे राखी भाई है। करीब दो हफ्ते बाद शौकत फिर कोठे पर पहुंचा। करीम लाला ने शौकत खान को गंगू बाई के साथ किए जाने वाले अत्याचार के लिए बेहद कड़ी सजा दी। करीम लाला ने कमाठीपुरा की कमान गंगुबाई को दे दी और तब से उस इलाके में फैसले गंगूबाई की इजाजत से होने लगे और मुंबई के डॉन करीम खान की मुंह बोली बहन होने की वजह से उन्हें भी मुंबई की लेडी डॉन कहा जाने लगा था।

गंगुबाई बनी माफिया क्वीन (Mafia Queen Gangubai Kathiawadi)

मुंबई के लोग जितना करीम लाला से डरते थे उतना ही वे गंगूबाई से भी खौफ खाने लगे। गंगूबाई कमाठीपुरा में हुए घरेलू चुनावों में शामिल हुईं और जीत हासिल की। इसके बाद गंगूबाई का ऐसा दबदबा कायम हुआ कि लोग उन्हें नाराज करने से भी डरने लगे। बड़े-बड़े माफिया, डॉन व गैंग्स के बीच भी उनका दबदबा बनने लगा। इस तरह वो गंगुबाई सेक्सवर्कर से गंगुबाई काठियावाड़ी बन गई। 
गंगूबाई का कहना था कि यदि मुंबई में रेड लाइट एरिया में काम करने वाली औरतें ना हो तो मुंबई की औरतों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। भले ही गंगूबाई वेश्यावृत्ति में पूरी तरह से रंग चुकी थी परंतु वह अपने यहां पर  किसी भी ऐसी महिला को नहीं रखती थी जिसका वहां पर रहने का या काम करने का मन ना हो। इतना ही नहीं, जो लड़किया गंगुबाई की तरह धोखे से कोठे पर पहुँच जाती थी, वो उन लड़कियों को घर पाहुचाने की कोशिश करती थी। ये औरतों पर होते अत्याचार और उनकी सुरक्षा के लिए भी आवाज़ उठती थी। जब भी वो स्टेज पे खड़े होकर भाषण देती थी तो सामने वालों को अपनी बातों से हिला कर रख देती थी। गंगुबाई ने कई ऐसे ऐसे काम किए जिसकी वजह से वह मिशाल बन गई।  उन्होने सेक्सवर्कर, अनाथ बच्चों और धोखे से कोठे पर लाई जाने वाली लड़कियों की सुरक्षा के लिए भी काम किया। मुंबई में वेश्याओं के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने वेश्याओं का नेतृत्व स्वयं किया। उनके जीवन में उनके साथ जो भी घटनाएँ हुई और जिस तरह से उन्हें मुंबई के डॉन की बहन बना दिया गया, इन सब बातों को लेकर उनका नाम माफ़िया क्वीन ऑफ मुंबई की किताब में शामिल किया गया है।

गंगूबाई और नेहरू की मीटिंग (Meeting between Gangubai Kathiawadi and Pt. Jawahar Lal Nehru)

एक बार कि बात है, कमाठिपुरा से सेक्सवर्कर को हटाने कि मांग कि जा रही थी। करीब एक सदी से कमाठिपुरा कि महिलाएँ इस काम से जुड़ी थी। और इस फैसले से उन सभी कि जिंदगियों पर काफी असर पड़ता। तो उस समय गंगू उनके हक़ के लिए प्रधान मंत्री के पास जा पहुंची। Pt. Jawahar Lal Nehru ने गंगू से पूछा तुम इस धंधे मे क्यू आई? तुम चाहती तो तुम्हें अच्छा पति और नौकरी दोनों ही मिल सकते थे। ऐसा कहा जाता है की गंगू ने खुद नेहरू के सामने प्रस्ताव रखा था और कहा था कि अगर वो उसे अपनी पत्नी के रूम मे स्वीकारने को तैयार हैं, तो वो इसी वक़्त इस धंधे को छोड़ देंगी। जाहीर सी बात है, नेहरू इस बात से खफा हुए और साफ साफ शब्दों मे इंकार कर दिया। तब गंगू बाई ने उन्हे कहा, प्रधानमंत्री जी नाराज न होइए, मई बस अपनी बात साबित कर रही थी। सलाह देना आसान है, पर उसे खुद अपनाना मुश्किल है। नेहरू जी ने गंगुबाई से कहा कि वो कोशिश करेंगे उनकी मांग पूरी करने कि। उसके बाद से कमाठिपुरा से वेश्याओं को हटाने का काम हमेशा के लिए बंद हो गया। 

गंगुबाई से जुड़ी रोचक तथ्य (Interesting facts related gangubai)

गंगुबाई के काम कि वजह से कमाठिपूरा के हर सेक्सवर्कर के घर मे गंगूबाई कि फोटो लगी है। गंगुबाई कि मृत्यु के बाद कमाठिपूरा मे उनकी स्टेचू बनवाई गई। जो आज भी कमाठिपूरा मे मौजूद है। 

MCQ:

प्रश्न- गंगुबाई का असली नाम क्या था?

उत्तर- गंगुबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था। 

प्रश्न- गंगुबाई का जन्म कब और कहा हुआ था?

उत्तर- गंगुबाई का जन्म 1939 मे गुजरात के काठियावाड नामक स्थान पर हुआ था। 

प्रश्न- गंगुबाई ने किस्से भागके शादी की थी?

उत्तर- जब वो महज 16 वर्ष की थी तब उन्होने अपने पिता के अकाउंटेंट रमणीकलाल से भाग के शादी की थी।

प्रश्न- रमणीकलाल ने गंगुबाई को कितने रुपए मे बेचा?

उत्तर- रमणीकलाल ने गंगुबाई को मात्र 500 रुपए के लिए बेचा। 

प्रश्न- गंगुबाई का राखी भाई कौन था?

उत्तर- गंगुबाई का राखी भाई मुंबई का डॉन करीम खान था।

प्रश्न- गंगुबाई काठियावाडी कब release हो रही है?

उत्तर- गंगुबाई काठियावाडी 25 फरवरी 2022 को release हो रही है। 
 

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