- Wednesday, 5:01:10 PM, 14-Jul-2021
- Published By: #Admin
व्यर्थ बैठने से कुछ मेहनत करते रहना बहुत ही बड़ा होता है |
एक निर्धन व्यक्ति के पास एक बंदर था जिसके खेल दिखाकर वह अपनी आजीविका चलाता था। बंदर विभिन्न प्रकार की कलाएँ दिखाता और लोग खश होकर पैसे फेंकते। उसका मालिक उन पैसों से अपनी जीविका चलाता।
एक दिन उसका मालिक उसे चिड़ियाघर लेकर गया। वहाँ उसके बंदर ने पिंजड़े में कैद बंदर को देखा। बच्चे उसे खाने के लिए केले दे रहे थे। पिंजडे के बंदर को देखकर वह बंदर सोचने लगा, ‘ये कितना खुशकिस्मत है!
बिना किसी मेहनत के इसे आसानी से भोजन प्राप्त हो जाता है जबकि मुझे दिन भर मेहनत करनी पड़ती है।’ यह सोचकर वह बंदर उसी रात चिड़ियाघर के पिंजरे में रहने के लिए चला गया।
उसने वहाँ पर आराम और मुफ्त के भोजन का खूब आनंद लिया। लेकिन जल्दी ही वह इस सबसे ऊब गया। अब वह अपनी आजादी वापस चाहता था। इसलिए वह वहाँ से भागकर अपने मालिक के पास वापस चला आया।
बंदर को एहसास हो गया था कि यद्यपि जीविका चलाने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन उससे भी कठिन निष्क्रिय बैठना है।
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