- Saturday, 5:46:23 PM, 30-Oct-2021
- Published By: Arnima Pathak
Marriage Relation and Divorce Story in Hindi

वैवाहिक रिश्ता और तलाक | Marriage Relation and Divorce Story in Hindi
ये कहानी एक पति पत्नी के जीवन मे होने वाली गलत्फ़्हमियों को दर्शाती है। इस कहानी के किरदार अनु (पत्नी) और छोटू (पति) हैं। शादी दो परिवारों का मिलन है, और बस पति पत्नी की गलतफहमियों और झगड़ो से दोनों परिवार अलग हो जाते हैं। इस कहानी मे अनु (पत्नी) और छोटू (पति) की कहानी मे Ego की वजह से उतार –चढ़ाओ आते हैं।
Marriage Relation and Divorce Story in Hindi। छोटू और अनु का वैवाहिक जीवन (Married Life) बहुत अच्छे से बीत रहा था। छोटी मोटी नोक – झोंक तो हर पति – पत्नी (Husband – Wife) मे होती है। लकीन एक दिन किसी बात को लेकर दोनों मे बहस हद से ज़्यादा बढ़ गई। इसलिए गुस्से मे ज्ञान ने अनु को थप्पड़ जड़ दिए, अनु ने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया। उसने अपना सैंडिल पति की तरफ़ फेंका, सैंडिल का एक सिरा उसके सिर को छूता हुआ निकल गया। मामला रफा - दफा हो भी जाता , लेकिन पति ने इसे अपनी बेजजती समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया , न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता। लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही। मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता - पिता होने के बाद दोनों में तलाक हो गया। पति - पत्नी के हाथ में तलाक के काग़ज़ थे । दोनों चुप थे , दोनों शांत , दोनों निर्विकार थे। मुकदमा दो साल तक चला था। अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे, यानी तलाक (Divorce)।
यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी - स्टॉल पर बैठे और दोनों ने ही कोलड्रिंक लिया। यह भी एक इत्तेफाक ही था कि तलाकशुदा छोटू और अनु एक ही मेज़ के आमने - सामने जा बैठे। लकड़ी की बेंच और वो दोनों आमने सामने। अनु ने अपने पति से कहा बधाई हो, आप जो चाहते थे वही हुआ। छोटू ने भी अपनी पत्नी को बधाई दिया तलाक देकर जीत हांसील करने के लिए। अनु ने कहा तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है ? छोटू ने कहा तुम बताओ ? पति के पूछने पर अनु ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था। अच्छा हुआ अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा। इस बात पे पति ने कहा वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। सपाट आवाज़ मे बिना गुस्सा किए अनु ने कहा मैंने बहुत मानसिक तनाव झेला है। पति ने कहा, जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू - लुहान कर देता है, तुम बहुत अच्छी हो । मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है। अनु चुप रही , उसने एक टक अपने पति को देखा। कुछ पल चुप रहने के बाद छोटू ने गहरी साँस ली और कहा , तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था। अनु ने कहा वो मेरी गलती थी, मैंने गलत कहा था, मुझे नही कहना चाहिए था।
दोनों एक दूसरे से बीती बातें कर ही रहे थे, तभी प्लास्टिक के कप में चाय आ गई । अनु ने जैसे ही चाय का ग्लास उठाया, चाय उसके हांथ पे गिर गई। तभी पति के मुह से ओहह की आवाज़ निकल गई। अनु ने अपने पति की तरफ देखा । छोटू भी अनु को देखे जा रहा था, और एक झटके मे पूछ बैठा। तुम्हारा कमर दर्द कैसा है ? अनु ने कहा ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम , ये कहते हुए अनु ने बात खत्म करनी चाही । तभी छोटू ने कहा तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती । ये सुन के अनु को हंसी आ गई। उसने थोड़ा सा मुस्कुराया और अपने पति से पूछा – आपके अस्थमा की क्या कंडीशन है ? फिर अटैक तो नहीं पड़े ? छोटू ने कहा डॉक्टर स्ट्रेन, मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है। अनु ने पुरुष को देखा और कुछ देर तक एकटक देखती रही। जैसे पति के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो। इनहेलर तो लेते रहते हो न ? अनु ने छोटू के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा । पति ने कहा हाँ लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, ये सुन के पत्नी ने हमदर्द लहजे मे कहा, तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी उखड़ी सी है।" छोटू ने हाँ कहा और बोला, कुछ इस वजह से और कुछ। इतना कहते कहते रुक गया। अनु ने कहा मुझे पता है, कुछ तनाओ के कारण भी हुआ।
छोटू कुछ सोचता रहा , फिर अपने मन की बात बोला, तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी। तुम तो जानती ही हो, वसुंधरा में फ्लैट है। मैं उसे तुम्हारे नाम कर देता हूँ। चार लाख रुपए फिलहाल मेरे पास नहीं है। ये सब सुनके अनु ने बोला, वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए है। और मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए ज्यादा नहीं। इस बात पे पति ने उत्तर दिया, बिटिया बड़ी होगी, सौ खर्च होते हैं, तुम कैसे सब मैनेज करोगी, इसलिए मै कह रहा हूँ। तभी अनु बोली, वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे। छोटू ने कहा हाँ, वो तो ज़रूर दूँगा। इस बात पे अनु ने कहा, चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना। उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।
समय बीत रहा था और पति उसका चेहरा देखते देखते मन ही मन सोच रहा था कि, कितनी सहृदय और कितनी सुंदर लग रही है, ये वही है जो कभी मेरी पत्नी हुआ करती थी। पत्नी पति को देख रही थी और सोच रही थी, कितना सरल स्वभाव का है इनका, जो कभी मेरे पति हुआ करते थे। कितना प्यार करते थे वो मुझसे। ये सोचते सोचते अनु वैवाहिक समय के बारे मे सोचने लगी। एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह उसका पति बचाने चला आया था। उन्हे खुद तैरना नहीं आता था, लाड साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करते रहे। कितने अच्छे हैं ये, मैं ही खोट निकालती रही इनके मे।
छोटू एकटक अनु को देख रहा था और सोच रहा था , " कितना ध्यान रखती थी , स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था। हर महीने कंजूसी करती , पैसे बचाती , और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है ? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी। कितनी संवेदना थी इसमें, मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा । काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।
"दोनों चुप थे, बेहद चुप। दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश। दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे। पति ने कहा - मुझे एक बात कहनी है , उसकी आवाज़ में झिझक थी। पत्नी ने सजल आँखों से उसे देखा और कहा कहो। तभी पति ने कहा मै डरता हूँ। पत्नी ने कहा - डरो मत। हो सकता है, तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो। तुम बहुत याद आती रही , पति ने कहा। पत्नी ने तुरंत ही बोला - आप भी। पति ने कहा - मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ। पत्नी ने सपाट से कहा - मैं भी। दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं। दोनों की आवाज़ जज़्बाती और चेहरे मासूम हो गए थे। दोनों पति ने पत्नी से कहा - " क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते ? क्या हम फिर से साथ – साथ एक साथ पति - पत्नी बन कर, बहुत अच्छे दोस्त बन कर नहीं रह सकते। पत्नी के भी मन मे यही बात थी, लेकीन वो तलाक के पेपर को लेके परेशान थी। पत्नी ने पति से कहा इस पेपर का क्या करे। तो पति ने कहा फाड़ देते हैं। दोनों ने अपने तलाक के कागज फाड़ दिये। दोनों उठे और एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान - परेशान थे । दोनों पति - पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति - पत्नी का था। दोनों अपना जीवन अच्छे से बीताने लगे।
हम सब जानते है, छोटी मोटी अन्न बन्न तो हर पति पत्नी मे होते हैं। पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो। देर ही सही लेकीन छोटू और अनु ने अपनी ज़िंदगी का सही फैसला लिए। अब उनकी बच्ची का भी उज्ज्वल भविस्य होगा।
आपको ये कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट में जरुर बताएं।
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