- Thursday, 12:00:19 PM, 13-Jan-2022
- Published By: Arnima Pathak
Makar Sankranti 2022: कब है मकर संक्रांति, क्या कहता है पंचांग, क्या करे दान, क्या है इसके पीछे का इतिहास और गोरखनाथ खिचड़ी मेला

मकर संक्रांति का त्योहार । Festival of Makar Sankranti in hindi
मकर संक्रांति का पावन पर्व देशभर में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो भारत मे ही नहीं विदेशों मे भी मनाया जाता है। हर पर्व अलग- अलग राज्य व देशों मे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पोंगल, बिहू, उत्तरायण जैसे इसके अनेक रूप हैं। इस दिन खिचड़ी बनाने की भी परंपरा है। हर पर्व को मनाने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है, अब वो कारण धार्मिक भी हो सकता है और पौराणिक भी। ठीक उसी तरह इस पर्व को मनाने के पीछे कई तरह की पौराणिक मान्यताएं हैं। इस पर्व का धार्मिक के साथ-साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी होता है।
Festival of Makar Sankranti in hindi. आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे की मकर संक्रांति का मतलब क्या होता है (What is the mean of Makar Sankranti), मकर संक्रांति के दिन के शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Muhurat 2022 Date and timing), मकर संक्रांति का इतिहास और उससे जुड़ी कुछ कहानिया (Significance and story of Makar sankranti, मकर संक्रांति की पूजा कैसे होती है (How to do worship of Makar Sankranti), मकर संक्रांति किन जगहों मे किन नामो से जानी जाती है (Different name of Makar Sankranti on Different places), विदेशों में मकर संक्रांति के त्यौहार के नाम (Makar Sankranti Festival in Abroad)
मकर संक्रांति का क्या मतलब है (What is the mean of Makar Sankranti)
Festival of Makar Sankranti in hindi. मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि की ओर इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे। वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश पर विशेष महत्व है। जिसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है। जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है।
मकर संक्रांति के दिन के शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Muhurat 2022 Date and timing)
मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। पर इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। पुण्य काल के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है, जोकि कुल 3 घंटे और 02 मिनिट है। इसके अलावा महा पूण्य काल के शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है जोकि कुल 1 घंटे 45 मिनिट के लिए है।
मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त - दोपहर 02:43 बजे से 05:45 शाम तक
पुण्य काल अवधि - 3 घंटे और 02 मिनिट
संक्रांति महापुण्य काल मुहूर्त - दोपहर 02:43 बजे से 04:28 शाम तक
महापुण्य काल अवधि - 1 घंटा 45 मिनट
मकर संक्रांति से जुड़े इतिहास और कहानियाँ (History and significance of festival)
गंगा की कहानी (Story of Ganga)। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन की गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
सूर्य और शनि की मुलाक़ात। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व सूर्य और शनि की मुलाकात के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें शनि देव सूर्य भगवान के पुत्र हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य जब मकर राशि यानी शनिदेव की राशि में प्रवेश करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं। ये भी माना गया है कि, इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है।
भगवान विष्णु की कहानी (Story related with Lord Vishnu) धार्मिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का अंत किया था। इस दिन को बुराइयों और नकारात्मकता के अंत का दिन भी कहा जाता है।
(माता यशोदा के व्रत की शुरुवात) धार्मिक कथाओं के अनुसार माता यशोदा ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत रखा था तब सूर्य उत्तरायण काल में पर्दापण कर रहे थे। तब से मकर संक्रांति का व्रत रखने का प्रचलन शुरू हुआ।
(भीस्म पीतमाह की इच्छा मृत्यु) प्राचीन उपनिषदों में उत्तरायण को देवयान के रूपक के तौर पर उपयोग में लाया गया है। महाभारत में कथा आती है कि भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के पावन दिन ही अपने प्राण त्याग दिए थे। इन्हे यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी। जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने उत्तरायन के दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के समय देह त्याग करने या मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
(गुरु गोरखनाथ ने की खिचड़ी की शुरुवात) इतिहास मे यह भी कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी कि शुरुआत गुरु गोरखनाथ ने की थी। जनश्रुति के अनुसार खिलजी के आक्रमण के समय संघर्ष कर रहे नाथ योगियों की भोजन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गोरखनाथ ने खिचड़ी का आविष्कार किया। खिचड़ी खाकर नाथ योगियों ने कड़ा संघर्ष किया और सैनिकों को अपने इलाके से भगाने में सफल रहे। यही वजह है कि मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
गोरखनाथ खिचड़ी मेला (Khichdi Mela at Gorakhnath Temple)। गोरखनाथ मे खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है, इस दिन आज भी गोरखनाथ मंदिर यानि गोरखपुर मे खिचड़ी का बहुत बड़ा मेला लगता है, जों पूरे एक महीने तक लगता है। जब खिचड़ी यानि मकर संक्रांति के दिन आता है, तब उस दिन अलग अलग राज्य व स्थानो से गुरु गोरखनाथ बाबा के लिए खिचड़ी आती है। और उन्हे चढ़ाया जाता है। उसके बाद उस खिचड़ी को मंदिर मे सभी परिजनों को खिलाया जाता है।
जिस उत्तरायण काल का इतना महत्व है, मकर संक्रांति का दिन उसका आरंभ है। मकर संक्रांति का त्योहार उत्तरायण का आरंभ याद दिलाता है, देवयान का द्वार बताता है, मुक्ति का मार्ग दिखाता है- यह पर्व सत्य की साधना का महत्व समझाता है।
मकर संक्रांति कैसे मनाएँ (Makar Sankranti celebration)
जो लोग इस विशेष दिन को मानते है, वे अपने घरों में मकर संक्रांति की पूजा करते है। मकरसंक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान, व पूण्य का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा शुरू करने से पहले पूण्य काल मुहूर्त और महा पुण्य काल मुहूर्त निकाल ले, और अपने पूजा करने के स्थान को साफ़ और शुद्ध कर ले।
इस दिन लोग गुड़ व तिल लगाकर किसी पावन नदी में स्नान करते है। अगर नदी नहीं है तो अपने घर मे ही बाल्टी मे तिल डालके बिना शैम्पू या साबुन का इस्तेमाल किए स्नान करते हैं। इसके बाद भगवान् सूर्य को लोटे मे गुड व तिल जल के साथ अर्पित करने के बाद उनकी पूजा की जाती हैं तथा सूर्य मंत्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का कम से कम 21 या 108 बार उच्चारण किया जाता है। वैसे यह पूजा भगवान् सूर्य के लिए की जाती है इसलिए यह पूजा उन्हें समर्पित करते है। कुछ भक्त इस दिन पूजा के दौरान 12 मुखी रुद्राक्ष भी पहनते हैं, या पहनना शुरू करते है। इस दिन रूबी जेमस्टोन भी फना जाता है।
इसके बाद एक थाली मे चावल, हल्दी, नमक, आलू, मिर्च, घी, काली दाल, काली तिल के लड्डू, भुने हुए चावल की लईया के लड्डू और पैसे को छूकर उसका दान किया जाता है, उसके बाद दान की हुई चीजों को पंडित जी को दे दिया जाता है। इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भी भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, और खिचड़ी का दान तो विशेष रूप से किया जाता है। जिस कारण यह पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। पूजा व दान के बाद मकर संक्रांति के दिन घर मे खिचड़ी, तिल के लड्डू, या दही बड़े खाते हैं। इस दिन हर कोई खिचड़ी जरूर खाता है, जों इसमे विश्वास रखता है।
इस दिन कई जगह पर पतंग भी उड़ाई जाती है। इसके अलावा इस दिन को अलग अलग शहरों में अपने अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन किसानों के द्वारा फसल भी काटी जाती हैं।
मकर संक्रांति किन जगहों मे किन नामो से जानी जाती है (Celebration on Different places)
भारत वर्ष में मकर संक्रांति हर प्रान्त में बहुत हर्षौल्लास से मनाया जाता है। लेकिन इसे सभी अलग अलग जगह पर अलग नाम और परंपरा से मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में इसे खिचड़ी का पर्व कहते है। इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर में प्रयाग यानि इलाहाबाद और गोरखनाथा यानि गोरखपुर में एक बड़ा एक महीने का माघ मेला शुरू होता है। त्रिवेणी के अलावा, उत्तर प्रदेश के हरिद्वार और गढ़ मुक्तेश्वर और बिहार में पटना जैसे कई जगहों पर भी धार्मिक स्नान हैं।
पश्चिम बंगाल : बंगाल में हर साल एक बहुट बड़े मेले का आयोजन गंगा सागर में किया जाता है। जहाँ माना जाता है कि राजा भागीरथ के साठ हजार पूर्वजों की राख को त्याग दिया गया था और गंगा नदी में नीचे के क्षेत्र डुबकी लगाई गई थी। इस मेले में देश भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
तमिलनाडु : तमिलनाडु में इसे पोंगल त्यौहार के नाम से मनाते है, जोकि किसानों के फसल काटने वाले दिन की शुरुआत के लिए मनाया जाता है।
आंध्रप्रदेश : कर्नाटक और आंधप्रदेश में मकर संक्रमामा नाम से मानते है. जिसे यहाँ 3 दिन का त्यौहार पोंगल के रूप में मनाते हैं। यह आंध्रप्रदेश के लोगों के लिए बहुत बड़ा इवेंट होता है। तेलुगू इसे ‘पेंडा पाँदुगा’ कहते है जिसका अर्थ होता है, बड़ा उत्सव।
गुजरात : उत्तरायण नाम से इसे गुजरात और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन गुजरात में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता रखी जाती है, जिसमे वहां के सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है। गुजरात में यह एक बहुत बड़ा त्यौहार है। इस दौरान वहां पर 2 दिन का राष्ट्रीय अवकाश भी होता है।
बुंदेलखंड : बुंदेलखंड में विशेष कर मध्यप्रदेश में मकर संक्रांति के त्यौहार को सकरात नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार मध्यप्रदेश के साथ ही बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और सिक्किम में भी मिठाइयों के साथ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र : संक्रांति के दिनों में महाराष्ट्र में टिल और गुड़ से बने व्यंजन का आदान प्रदान किया जाता है, लोग तिल के लड्डू देते हुए एक – दूसरे से “टिल-गुल घ्या, गोड गोड बोला” बोलते है। यह महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए विशेष दिन होता है। जब विवाहित महिलाएं “हल्दी कुमकुम” नाम से मेहमानों को आमंत्रित करती है और उन्हें भेंट में कुछ बर्तन देती हैं।
केरल : केरल में इस दिन लोग बड़े त्यौहार के रूप में 40 दिनों का अनुष्ठान करते है, जोकि सबरीमाला में समाप्त होता है।
उड़ीसा : हमारे देश में कई आदिवासी संक्रांति के दिन अपने नए साल की शुरुआत करते हैं। सभी एक साथ नृत्य और भोजन करते है। उड़ीसा के भूया आदिवासियों में उनके माघ यात्रा शामिल है, जिसमे घरों में बनी वस्तुओं को बिक्री के लिए रखा जाता है।
हरियाणा : मगही नाम से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह मनाया जाता है।
पंजाब : पंजाब में लोहड़ी नाम से इसे मनाया जाता है, जो सभी पंजाबी के लिए बहुत महत्व रखता है, इस दिन से सभी किसान अपनी फसल काटना शुरू करते है और उसकी पूजा करते है।
असम : माघ बिहू असम के गाँव में मनाया जाता है।
कश्मीर : कश्मीर में शिशुर सेंक्रांत नाम से जानते है।
विदेशों में मकर संक्रांति के त्यौहार के नाम (Makar Sankranti Festival in Abroad)
भारत के अलावा मकर संक्रांति दुसरे देशों में भी प्रचलित है लेकिन वहां इसे किसी और नाम से जानते है। नेपाल में इसे माघे संक्रांति कहते है। नेपाल के ही कुछ हिस्सों में इसे मगही नाम से भी जाना जाता है। थाईलैंड में इसे सोंग्क्रण नाम से मनाते है। म्यांमार में थिन्ज्ञान नाम से जानते है। कंबोडिया में मोहा संग्क्रण नाम से मनाते है। श्रीलंका में उलावर थिरुनाल नाम से जानते है। लाओस में पी मा लाओ नाम से जानते हैं।
Festival of Makar Sankranti in hindi. इस लेख मे हमने मकर संक्रांति से जुड़ी सभी बातों को लिखा है। आपको ये लेख पढ़के कैसा लगा, हमे कमेंट सेक्शन मे बता सकते है। और अगर आपको किसी और भी पर्व से जुड़े लेख पढ़ने हैं तो हमे बता सकते हैं।
FAQ
प्रश्न : मकर संक्रांति सन 2022 में कब है ?
उत्तर : 14 जनवरी को
प्रश्न : मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है ?
उत्तर : दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक
प्रश्न: मकर संक्रांति में किसकी पूजा की जाती है ?
उत्तर : भगवान सूर्य
प्रश्न: मकर संक्रांति में किस चीज का भोग लगता है ?
उत्तर : तिल, गुड और खिचड़ी का।
प्रश्न: मकर संक्रांति पर गुरु गोरखनाथ मंदिर मे क्या चढ़ता है?
उत्तर : इस दिन गुरु गोरखनाथ मंदिर मे खिचड़ी चढ़ाई जाती है।
प्रश्न: भीस्म पितामाह ने प्राण किस दिन त्यागे थे?
उत्तर : भीस्म पीतमाह ने अपने प्राण उत्तरायन यानि मकर संक्रांति के दिन त्यागे थे।
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