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मैरी क्रिसमस से जुड़ी कहानिया | history of merry christmas in hindi

christmas day festival in hindi

क्रिसमस डे (क्रिश्चियन धर्म का त्योहार) । Christmas Day Festival in Hindi

मैरी क्रिसमस को 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। इस बार Christmas Day 25th December 2021, Saturday (Day of Christmas) के दिन मनाया जाएगा। इस त्योहार को ईसाई धर्म (Christian Religion) के लोग मानते है। ईसाई धर्म का सबसे खास पर्व क्रिसमस ही होता है। जिस तरह हिन्दुओ का खास पर्व दिवाली और मुस्लिमों का ईद होता है, ठीक उसी तरह क्रिश्चियनस के लिए भी ये दिन बहुत खास होता है। क्योंकि क्रिसमस केवल एक त्यौहार नहीं है बल्कि ईश्वर के प्रति प्यार और ईसा मसीह द्वारा बताये गए सिद्धान्तों को दुनिया में फ़ैलाने का दिन है। क्रिश्चियन समुदाय के लोग इस दिन ईसा मसीह का सम्मान करते है, प्रार्थना करते है और अपने बच्चों को उनके संदेशों को सिखाते है। इस दिन दुनिया के सभी चर्च को हर तरफ से सजाया जाता है और रात मे केक काटा जाता है। माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह यानि 6 B.C को Bethlehem मे यीशु का जन्म हुआ था। क्रिश्चियन धर्म के लोग उन्हें ईश्वर का बेटा मानते थे। वैसे तो ये क्रिश्चियन का त्योहार होता है, लेकिन हर धर्म के लोग चर्च जाते है, और ईसा मसीह के सामने मोमबत्ती जला के प्रार्थना करते हैं। दुनिया की अलग-अलग जगहों पर क्रिसमस का त्यौहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। स्कूल और कालोनी मे भी क्रिसमस डे सभी मनाते हैं। कोई न कोई संता क्लॉज़ बनता है तथा सभी बच्चों को टॉफियाँ बाटता है। 

इस आर्टिकल मे आप क्रिसमस से जुड़ी तरह तरह की कहानियों के बारे मे जानेंगे, जैसे- क्रिसमस दिवस की कहानी, यीशु मसीह के जन्म की कहानी, यीशु के जीवन से जुड़ी कहानी, संता क्लॉज़ कि कहानी, क्रिसमस ट्री की कहानी। 

क्रिसमस डे का मतलब (Meaning of Christmas Day)

‘क्रिसमस’ शब्द ‘क्राइस्ट्स और मास’ दो शब्दों के मेल से बना है, जो मध्य काल के अंग्रेजी शब्द ‘क्रिस्टेमसे’ और पुरानी अंग्रेजी शब्द ‘क्रिस्टेसमैसे’ से नकल किया गया है। 1038 ई. से इसे ‘क्रिसमस’ कहा जाने लगा। इसमें ‘क्रिस’ का अर्थ ईसा मसीह और ‘मस’ का अर्थ ईसाइयों का प्रार्थनामय समूह या ‘मास’ है। यीशु के जन्म  के संबंध में ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म़ देगी तथा बच्चे  का नाम यीशु रखा जाएगा। वहो बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएं नहीं होंगी। 

क्रिसमस डे की कहानी (why celebrated Merry Cristmas Day)

क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग Carol गाते हैं। वे प्यार व भाई चारे का संदेश देते हुए घर-घर घंटी बजाते हुए जाते हैं।  क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है। क्रिश्चियनस अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। चर्च मास के बाद, क्रिश्चियनस मित्रवत रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहां क्रिसमस बहुत जोश व उत्सारह के साथ मनाया जाता है। 

संता क्लॉज़ की कहानी (Story of Santa Clause)

क्रिसमस के मौके पर अक्सर हम सब संता क्लॉज़ को देखते हैं। हम आपको बता दे कि यीशु के जन्म और सांता क्लॉज का आपस में कोई खास संबंध नही है। सांता क्लॉज को याद करने का चलन 4वीं शताब्दी से आरंभ हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि सांता क्लॉज उत्तरी ध्रुव पर रहते हैं और उड़ने वाली स्लेज पर चलते हैं। दरअसल संत निकोलस को सांता क्लॉज माना जाता है, और वे तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के Bishop थे। कहानियों के मुताबिक सांता क्लाज़, लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो Reindeer पर सवार होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्वकपूर्ण भूमिका निभाता है। वह बच्चों को प्या्र करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार व अन्यए वस्तुएं लाता है। क्रिसमस के दिन संता क्लॉज़ रात के वक्त उपहार बांटते हैं। मोजे में गिफ्ट वाली बात भी हम सबने सुना है। ऐसा कहा जाता है कि संत निकेलस ने एक शख्स की मदद के लिए जुराब में सोना छुपा दिया था। वह संभवत: रात के समय लोगों कि मदद के लिए जुराबों में रख देते थे। तभी से क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट छुपाने और सीक्रेट सांता क्लॉज बनने का रिवाज है। अलग अलग देशों में अपने-अपने तरीके से लोग क्रिसमस का त्यौहार मानते हैं। यूरोप में करीब 12 दिनों तक क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। 

क्रिसमस ट्री की कहानी (Story of a Christmas Tree)

क्रिसमस पर फर वाले पेड़ को सजाया जाता है। फर के इस पेड़ को लोग क्रिसमस ट्री कहते हैं।  इस पर रंग बिरंगी लाइट्स लगाई जाती हैं और तोहफे आदि लटकाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पड़े घर की नेगेटिविटी को दूर करता है। कहानियों मे ये भी सुना है कि यीशु के माता-पिता को शुभकामनाएं देने के लिए देवदूतों ने फर के पेड़ को सितारों से सजाया था। कहा जाता है कि जर्मनी से पेड़ सजाने की परंपरा शुरु हुई थी। 

यीशु के जन्म की कहानी (Jesus Christ Birth Story in Hindi)

क्रिसमस की प्रचलित कथा। कहा जाता है की Mary नाम की एक कन्या Nazreth नाम के शहर मे रहती थी। Mary Yusuf नाम के एक व्यक्ति को पसंद करती थी। लेकिन अभी उनका विवाह नही हुआ था। वो एक कुंवारी कन्या थी, एक दिन, ईश्वर ने एक सन्देश के साथ Grabeal नामक परी को Mariyam के पास भेजा। उसने उसे बताया की ईश्वर लोगों की सहायता के लिए धरती पर एक पवित्र आत्मा भेज रहे है। वह आत्मा मैरी के बेटे के रूप में पैदा होगी और उसका नाम ईशु रखना। यीशु का मतलब है उद्धारकर्ता और ये बच्चा वास्तव में लोगों के लिए एक उद्धारक होगा।
मैरी यह सुनकर चिंतित हो गई की उसके अविवाहित होते हुए यह कैसे हो सकता है। परी ने उससे कहा की यह ईश्वर की तरफ से एक चमत्कार होगा तुम्हें इसके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। उसने यह भी बताया की एलिज़ाबेथ नाम के उसके चचेरे भाई जिनके बच्चे नहीं थे वे जॉन बैपटिस्ट नाम के एक बच्चे को भी जन्म देंगे जो यीशु के जन्म के लिए रास्ता तैयार करेगा। यह सुनकर मैरी ईश्वर की इच्छा से सहमत हो गई। वह एलिज़ाबेथ से मिलने गई और तीन महीने बाद वापस लौट आई। जब वो वापस लौटी तब वह गर्भवती हो चुकी थी। Yusuf Mary के होने वाले बच्चे को लेके बहुत चिंतित था। इसलिए उसने Mary से शादी न करने का विचार किया। तब रात मे सोते समय उसे एक देवदूत सपने में दिखाई दिया और उसने उसे बताया की मैरी ईश्वर के पुत्र को जन्म देंगी। उसने उसे न डरने और मैरी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के लिए कहा। यूसुफ सपने से जाग गया और अगले ही दिन यूसुफ और मैरी ने एक दुसरे से शादी कर ली। Yusuf केवल कानूनी रूप से ईशु के पिता थे और वे एक बढ़ई थे। अथार्थ एक शिल्पकार जो अपने हाथो से काम करते थे। कुछ समय बाद, Yusuf और Mariam को नाम पंजीकरत कराने के लिए  Bethlehem जाना पड़ा जो Nazreth से बहुत दूर था। जब वे वहां पहुंचे तो उन्होंने पाया की वहां भीड़ बहुत थी और उनके रहने के लिए वहाँ कोई जगह नहीं बची क्योंकि सभी सराय और आवास अन्य लोगों के द्वारा कब्जा कर लिए गए थे। यीशु के समय Palestine Roman Empire का हिस्सा था, जिसने अपने विभिन्न क्षेत्रों को कई तरीकों से नियंत्रित किया।  इसलिए उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को यीशु को जन्म  दिया।  इस प्रकार प्रभु के पुत्र यीशु का जन्म हुआ। 
जीसस का  जन्म होने के बाद उन्हे  मंदिर में रखा गया था (एक जगह जहाँ जानवरों का बसेरा था) और पहने हुए कपड़े में लपेटे थे। चरवाह अपनी भेड़-बकरियों को संभालने आए तो उन्हें एक परी दिखाई दी। देवदूत ने उन्हें बताया की आपका उद्धारकर्ता आज बेथहलम में पैदा हुआ था। चरवाहों ने यकीन नहीं किया लेकिन जब उन्होंने यूसुफ, मरियम और बच्चे यीशु को देखा तो आश्चर्यचकित और खुश हुए।
यीशु के जन्म के समय आसमान में एक उज्ज्वल नया सितारा दिखाई दिया। बेथहलम के अन्य हिस्सों में, जहाँ चरवाहे अपने जानवर चरा रहे थे। स्वर्गदूत उन्हें अच्छी खबर देने लगे। उन्होंने दुनिया पर पवित्र आत्मा का स्वागत करने के लिए गाने गाये और यीशु के जन्म का आनंद लिया। तब से इस दिन को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। लोग यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाने के लिए मध्यरात्रि में चर्च जाते है। उपहार का आदान-प्रदान करते है, कैरल गाते है, नए कपड़े पहनते है और हर्षोल्लास से क्रिसमस मनाते है।

एक दूरदराज के देश में तीन बुद्धिमान पुरुष थे जो जानते थे की यह एक महान राजा के आगमन का संकेत थे और वे उसे ढूंढने के लिए पहुंचे। राजा Herodes ने सुना की बुद्धिमान लोग महान नए राजा की तलाश में थे। जो उनके स्थान को ले लेगा। राजा हरोदेस ने बच्चे को मरने की योजना बनाई लेकिन अभी तक उसके बारे में कोई नहीं जानता था।
तीन बुद्धिमान पुरुष उज्ज्वल सितारे का पीछा करते गए। वे बच्चे और उसके माँ-बाप के लिए उपहार लेकर आए। तीनों बुद्धिमानों ने राजा herodes को उस ईशु के जन्म का स्थान नही बताया। क्यूकी वो ये जानते थे की राजा बहुत बुरा है। यूसुफ को सपने में एक परी ने चेतावनी दी थी की राजा हरोदेस यीशु को मारने के लिए उसकी खोज करेगा। इसलिए अगर वे मिस्र चले जाए तो महफूज रहेंगे।
यह वह जगह थी जहाँ वे दुष्ट राजा की मृत्यु तक रहे थे। जब हरोदेस यीशु को खोजने में नाकाम रहा तो उसने बेथहलम के सभी छोटे बच्चों को मारने का आदेश दिया। हरोदेस की मृत्यु के बाद यीशु और मरियम ने मिस्र छोड़ दिया और इजराइल की यात्रा की। उन्होंने अपना बाकि जीवन नाजरेथ में बिताया।

क्रिसमस डे पे मूवीस (Movies based on Christmas Day)

 क्रिसमस के दिन को दर्शाने और उनकी कहानियों को लोगों तक पहुचाने के लिए कई सारी मूवीस बनी हैं। उनमे से कुछ के नाम हैं- The Christmas Chronicals, Let it snow, The Last Christmas and A Califoria Christmas. 

क्राइस्ट का मतलब (Meaning of Christ)

प्राचीन यहूदियों में आमतौर पर केवल एक ही नाम होता था, और जब अधिक विशिष्टता की आवश्यकता होती थी, तो पिता का नाम या मूल स्थान जोड़ने की प्रथा थी।  इस प्रकार, अपने जीवनकाल में यीशु को यूसुफ का पुत्र यीशु कहा गया। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें ईसा मसीह कहा जाने लगा। क्राइस्ट मूल रूप से एक नाम नहीं था, बल्कि ग्रीक शब्द क्रिस्टोस से लिया गया एक शीर्षक था, जो Hebrew शब्द Meshiah (Messiah) का अनुवाद करता है, जिसका अर्थ है "अभिषिक्त।"  यह title दर्शाता है कि यीशु के अनुयायी उसे राजा David का अभिषिक्त पुत्र मानते थे। 
Jesus, जिसे Jesus Christ, Galilean का Jesus, या Nazareth का Jesus भी कहा जाता है। उन्हें अधिकांश ईसाई भगवान के अवतार के रूप में मानते हैं। यीशु की शिक्षाओं और प्रकृति के इतिहास की बात Christology  में की गई है।

इस पोस्ट से आपको Christmas Day Festival in Hindi से जुड़ी हर बाते पता चल गई होंगी। आपको इस आर्टिकल मे कुछ न कुछ नया जरूर मिला होगा। हमारे पाठकों को ये पोस्ट कैसी लगी, हमे कमेंट कर के जरूर बताएं। 
 

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